मेरी कविता मेरे लिए नहीं उनके लिए है जो मेरे होते हुए भी पराए हैं। उनके लिए है जो कभी मेरे अपने नहीं हो सकते हैं मेरी कविता उनके लिए है उनके लिए कविता नहीं प्राण है!
हिंदी समय में सुमित पी.वी. की रचनाएँ
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